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DAINIK JAGRAN

1.

सर्जरी के बाद हर साल 15 लाख को होता संक्रमण

भारत में सर्जरी के बाद हर साल औसतन लगभग 15 लाख मरीज संक्रमण की चपेट में आते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की एक हालिया रिपोर्ट में सर्जरी के बाद होने वाले संक्रमण यानी सर्जिकल साइट इंफेक्शन (एसएसआइ) को लेकर यह चिंताजनक स्थिति सामने आई है। एसएसआइ तब होता है जब सर्जरी के दौरान लगाए गए चीरे में प्रवेश कर बैक्टीरिया उसमें संक्रमण पैदा करते हैं।


2.

समान अवसर देने के लिए आचार संहिता महत्वपूर्ण : चुनाव आयोग

एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर जोर देने के लिए सरकार ने बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य और सामान्य जनजीवन बाधित होने को कारण बताया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इसे चुनावों में समान अवसर प्रदान करने का एक 'महत्वपूर्ण साधन' बताया है।


3.

पीएम आज करेंगे जेड मोड़ सुरंग का लोकार्पण, कश्मीर में सुरक्षा कड़ी

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जेड मौड़ सुरंग सोमवार को प्रधानमंत्री राष्ट्र को समर्पित करेंगे। श्रीनगर- कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिला गांदरबल में समुद्रतल से 8,650 फीट की ऊंचाई पर 6.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई गई है। समारोह के मद्देनजर न सिर्फ श्रीनगर-कारगिल राष्ट्रीय राजमार्ग पर बल्कि घाटी में अन्यत्र भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सुरंग के आसपास के सभी संवेदनशील इलाकों में सेना व अर्धसैनिकबलों ने अस्थायी चौकियां स्थापित करते हुए गश्त बढ़ा दी है। एसपीजी ने समारोह स्थल को नियंत्रण में ले लिया है। 


4.

इसरो का कमाल, तीन मीटर करीब तक लाए गए 'स्पैडेक्स' के दोनों अंतरिक्षयान

भारत स्पैडेक्स मिशन में सफलता के बेहद करीब पहुंच गया है। इसरो ने कमाल करते हुए इस मिशन के दोनों अंतरिक्षयानों चेजर और टारगेट को तीन मीटर तक करीब पहुंचाने में सफलता हासिल की।" हैंडशेक" के करीब पहुंचकर चेजर और टारगेट सुरक्षित दूरी तक लौट गए। इसरो ने कहा कि डाटा के विश्लेषण के बाद डाकिंग प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसरो ने अंतरिक्षयानों द्वारा विभिन्न दूरी से ली गई तस्वीरें और वीडियो को भी साझा किया। चंद्रमा से नमूने लाने, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण जैसे देश के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को अपने बलबूते हासिल करने के लिए स्पैडेक्स मिशन जरूरी है। 


5.

रक्षा क्षेत्र : एकाधिकार बनाम प्रतिस्पर्धा 

भारत दशकों से अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहा है। प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी हथियार और दूसरे रक्षा उपकरणों के उत्पादन पर जोर दे रहे हैं। इसके सकारात्मक नतीजे भी दिखने लगे हैं और तीनों सेनाओं की जरूरत के काफी हथियार और उपकरण अब देश में ही बन रहे हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियां भी रक्षा क्षेत्र में निवेश कर रही हैं। लेकिन संवेदनशील रक्षा तकनीक क्षेत्र में अब भी सरकारी उपक्रमों जैसे हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड और डीआरडीओ का एकाधिकार है। ये कंपनियां तेजी से बदल रहे सुरक्षा और तकनीक के परिदृश्य के साथ कदम मिलाकर नहीं चल पा रहीं हैं। वायुसेना प्रमुख ने इस बात पर चिंता जताई है कि 2010 में 40 तेजस विमान का आर्डर दिया गया था। वायुसेना को सभी 40 विमान अब तक नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रहीं हैं। ऐसे में अहम रक्षा उपकरणों के उत्पादन में निजी क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिए। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। निजी क्षेत्र की भागीदारी और प्रतिस्पर्धा देश की रक्षा जरूरतों के लिए कितनी सामयिक और अहम साबित हो सकती है, इसकी पड़ताल अहम मुद्दा है। -


6.

दूरदृष्टि के साथ काम करें सरकार व कंपनियां

रक्षा के क्षेत्र में काम करने की के अपार संभावनाएं हैं। यह कहना सही नहीं होगा कि रक्षा के क्षेत्र में सरकारी कंपनियों का एकाधिकार है। बहुत सी निजी कंपनियां रक्षा क्षेत्र में आ गई हैं और वे बड़े-बड़े काम रहीं हैं। जैसे आर्टिलरी गन बनाई है। थोड़े दिन पहले लाइट टैंक बनाया है। रडार बना रहीं हैं। इलेक्ट्रो आप्टिक्स बना रहीं हैं। इस तरह बहुत सी कंपनियां काम कर रहीं हैं। 


7.

एचएएल की असेंबली लाइन में निजी कंपनियों की भागीदारी जरूरी

तेजस विमान की डिलिवरी को लेकर वायुसेना प्रमुख की चिंता जायज है। 2010 के 40 तेजस विमान का आर्डर अब तक पूरा नहीं हुआ है। यह आर्डर तेजस मार्क 1 का था। वायुसेना करीब 183 तेजस विमानों का आर्डर दे चुकी है। लेकिन जब मार्क 1 का आर्डर ही पूरा नहीं हुआ है तो मार्क 2 और एएमसीए तो अभी दूर की कौड़ी हैं।


8.

उत्पादक कार्य संस्कृति की आवश्यकता

सप्ताह में 90 घंटे को कार्य अवधि का मुद्ध भारतीय समाज और कार्य संस्कृति के संदर्भ में बहस का विषय बन गया है। लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन के हालिया बयान ने इस पर चर्चा को और प्रबल कर दिया है। यह समझना आवश्यक है कि भारत जैसे विविध, जटिल और विकासशील देश में 90 घंटे की कार्य अवधि न केवल व्यावहारिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि सामाजिक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। 


9.

मध्यवर्ग को मिले राहत

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को कि गाति देने में मध्यवर्गीय परिवारों की प्रमुख भूमिका रहती है। देश में ही निर्मित होने वाले विभिन्न उत्पादों की मांग इन्हीं परिवारों के माध्यम से निर्मित होती है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार जब मध्यवर्गीय परिवारों की श्रेणी में शामिल होते हैं तो उन्हें नया स्कूटर, नया फ्रिज, नया एयर कंडिशनर, नया टीवी एवं इसी प्रकार के कई नए पदार्थों (उत्पादों) की आवश्यकता महसूस होती है। नए मकानों की मांग भी इनके बीच से ही निर्मित होती है। इसीलिए यह कहा जाता है कि जिस देश में मध्य.0322वर्गीय परिवारों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ती है, उस देश का आर्थिक विकास भी उतनी ही तेज गति से आगे बढ़ता है। 


10.

बजट में सीमा शुल्क माफी योजना की घोषणा संभव

मुकदमेबाजी को कम करने और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में सीमा शुल्क के लिए माफी योजना की घोषणा कर सकती है। प्राइस वाटरहाउस एंड कंपनी एलएलपी के प्रबंध निदेशक अनुराग सहगल का कहना है कि उद्योग की मुख्य मांगें निश्चित रूप से सरकार के उद्देश्यों के अनुरूप होंगी और सरकार का एक उद्देश्य मुकदमेबाजी में कमी लाना है। इस मोर्चे पर, सीमा शुल्क के लिए माफी योजना, विशेष रूप से जीएसटी से पहले के विरासती करों जैसे- अतिरिक्त शुल्क, विशेष अतिरिक्त शुल्क को कवर करना उद्योग की मांगों में से एक रहा है। 


11.

भूराजनीतिक अनिश्चितताओं से प्रभावित होगा वैश्विक कारोबार

भू-राजनीतिक अनिश्चितता, निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका में नए सिरे से ट्रेड वार की संभावना, स्थिरता-आधारित अड़चनों में वृद्धि, प्रमुख क्षेत्रों में चीन की अत्यधिक क्षमता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) में तेजी से प्रगति जैसे कारण 2025 में वैश्विक व्यापार को प्रभावित करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय निर्यातकों और आयातकों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। 


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